फ़िल्म समीक्षा ; हिंदी फिल्म पंचकृति फाइव एलिमेंट्स
कलाकार: बृजेंद्र काला, तन्मय चतुर्वेदी, सागर वाही, पूर्वा पराग, सारिका बहरोलिया
निर्देशक: संजोय भार्गव
प्रोड्यूसर: हरिप्रिया भार्गव, संजोय भार्गव
सेंसर: यू/ए
अवधि : 2 घंटे 3 मिनट
रिलीज डेट ; 25 अगस्त 2023
बैनर: उबोन विजन प्राइवेट लिमिटेड
रेटिंग ; 3 स्टार्स
बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में बनी हैं जिनमें एक पिक्चर में कई कहानियां शामिल की गई हैं और कहीं न कहीं वे एक दूसरे से जुड़ी हुई भी होती हैं। दर्शकों के लिए भी यह प्रयोगात्मक सिनेमा दर्शनीय हो जाता है। इस सप्ताह रिलीज हुई हिंदी फिल्म "पंचकृति फाइव एलिमेंट्स" भी एक ऐसी ही फ़िल्म है जिसमें पांच अलग अलग कहानियां बड़ी खूबसूरती से पिरोई गई हैं।
पंचकृति फाइव एलीमेंट्स में आकर्षक शहर चंदेरी पर आधारित पांच मनोरम और परस्पर जुड़ी कहानियां शामिल हैं। कहानी कहने के अनूठे माध्यम की वजह से यह फ़िल्म बड़ी एंगेजिंग हो जाती है। फ़िल्म की विशेषता यह है कि हर कहानी एक धागे से बंधी होने के साथ-साथ अकेली भी है। ये चौंकाने वाली, अनोखी और रहस्यमयी कहानियाँ एक बेहतरीन संदेश के साथ एक सोच उजागर करने वाला अनुभव प्रदान करती हैं।
बुंदेलखंड के चंदेरी शहर की पृष्ठभूमि पर आधारित इस फ़िल्म में पेश की गई पांच कहानियों में निर्देशक ने ग्रामीण भारत को सच्चे रूप में दर्शाया है। बुंदेलखंड के विभिन्न हिस्सों में फिल्मायी गयी इस फ़िल्म में प्रमुख किरदारों में बृजेंदर काला, उमेश बाजपेई , सागर वाही , पुरवा पराग , मानी सोनी और रवि चौहान दिखाई दे रहे हैं।
पंचकृति फाइव एलिमेंट्स' नायिका प्रधान सिनेमा है जो महिलाओं से जुड़ीं कई समस्याओं को प्रभावी रूप से उजागर करती है। यह सिनेमा दरअसल देश के कई महत्वपूर्ण अभियान जैसे 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' और 'स्वच्छ भारत अभियान' के बारे में भी जागरुकता फैलाती है।
फ़िल्म में सभी कलाकारों ने अपने किरदारों के साथ इंसाफ किया है। पंडित जी के रूप में बृजेंद्र काला हों या मुकेश के रोल में तन्मय चतुर्वेदी, मौर्या जी के रूप में उमेश बाजपेयी हों या फिर कुरंगी विजयश्री नागराज सखी के रूप में हों, तमाम आर्टिट्स ने अपना सौ प्रतिशत दिया है। माही सोनी ने माही के किरदार में, सागर वाही सनी के रूप में, रत्ना के रूप में देवयानी चौबे, कुसुम के चरित्र में पूर्वा पराग, रजनी के रूप में सारिका बहरोलिया और रजनी के पिता के रूप में रवि चौहान ने भी अपनी अदाकारी की छाप छोड़ी है।
निर्देशक संजोय भार्गव की यह अद्भुत कृति वास्तव में देखने लायक है। पांच कहानियों का ऐसा ताना बाना बुनना और फिर उन्हें एक दूसरे से कनेक्ट करना और पर्दे पर बेहतरीन तरीके से पेश कर देना आसान काम बिल्कुल नहीं था लेकिन संजोय भार्गव ने वह कर दिखाया है।
- Gaazi Moin