फ़िल्म समीक्षा : द लॉस्ट गर्ल
लेखक निर्देशक ; आदित्य रानोलिया
कलाकार ; प्राची बंसल, अरोनिका रानोलिया, भूपेश सिंह, पूनम जांगड़ा, नवीन निषाद, रवीश सिंह, रमन नासा, अक्षय मिश्रा, शेखर यादव, सुमन सेन, सुनील भारती, नीवा मलिक
बैनर ; एडमेक इंडिया मीडिया, ए. आर. फिल्म्स और ए. आर. स्टूडियोज
निर्माता :आदित्य रनोलिया, एडमेक इंडिया मीडिया प्रा. लिमिटेड, एआर स्टूडियो
शैली ; सोशल ड्रामा
सेंसर ; यूए
अवधि : 2 घंटे
रेटिंग : 1.5 स्टार्स
निर्माता निर्देशक आदित्य रानोलिया की फिल्म "द लॉस्ट गर्ल" सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। इस सप्ताह 5 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है।
फ़िल्म महिला केंद्रित है। इसकी मुख्य पात्र सुहानी अपने माँ बाप की तलाश में निकलती है जो बचपन मे दंगे के दौरान अपने मातापिता से बिछड़ गई थी और उसकी याददाश्त खो गई थी। जब उसकी याददाश्त वापस आती है, तो वह मां बाप का पता लगाने की ठानती है। वह पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बनती है। द लॉस्ट गर्ल समाज में महिला सशक्तिकरण के एहसास को बढ़ाने का सन्देश देती है।
फ़िल्म में कई माइनस पॉइंट्स भी हैं। फ़िल्म काफी स्लो आगे बढ़ती है इस तरह देखा जाए तो एडिटिंग टेबल पर काफी काम होना बाकी था। फ़िल्म की अवधि आसानी से 15 मिनट कम की जा सकती थी। इंटरवल तक सुहानी का बचपन ही दिखाया जाता रहा इससे कई पॉइंट पर दर्शक ऊबने लगते हैं।
फिल्म "द लॉस्ट गर्ल" में टेलीविजन शो श्रीमद रामायण में सीता का किरदार निभा रही एक्ट्रेस प्राची बंसल ने सुहानी की प्रमुख भूमिका बखूबी निभाई है। प्राची ने अपने अभिनय से प्रभावित किया है और मातापिता से बिछड़ी एक लड़की के दर्द को उन्होंने पर्दे पर असरदार ढंग से पेश किया है।
फिल्म में सुहानी के बचपन का किरदार अरोनिका रानोलिया ने प्रभावी रूप से निभाया है। साथ ही भूपेश सिंह, पूनम जांगड़ा, रमन नासा, नवीन निशाद इत्यादि ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।
जहां तक निर्देशन का मामला है लेखक, निर्देशक आदित्य रानोलिया ने सच्ची घटनाओं पर बेस्ड इस फिल्म "द लॉस्ट गर्ल" का बेहतरीन डायरेक्शन किया है। फिल्म देखकर प्रतीत होता है कि उन्होंने मेहनत की है, ढेर सारा गहन रिसर्च किया है और दंगे के दर्द और इसके बुरे प्रभाव को सिल्वर स्क्रीन पर प्रस्तुत किया है। प्राची बंसल को उन्होंने सुहानी के किरदार में ढाल दिया है और पहली फ़िल्म के अनुसार टीवी स्टार से बढ़िया काम करवा लिया है। पटकथा आदित्य रानोलिया और जय शंकर प्रसाद ने लिखी है।
फ़िल्म के कुछ दृश्य बड़े ही प्रभावित करते हैं और इमोशनल कर देते हैं। दिल को एक बात लगती है कि दंगों से सबसे ज्यादा महिला और बच्चे ही प्रभावित होते हैं जो उन्हें वर्षो की टीस दे जाते हैं।
फिल्म द लॉस्ट गर्ल का म्यूजिक इसका प्लस पॉइंट है। कुमार मंगत पाठक की कंपनी पैनोरमा म्यूजिक कंपनी द्वारा इसके गाने रिलीज़ किए गए हैं। फिल्म का बेहतरीन संगीत विवेक अस्थाना ने दिया है, उन्होंने सभी सिचुएशनल सॉन्ग को अच्छे तरीकों से कम्पोज़ किया है। गीतकार अपूर्वा आशीष और आदित्य रानोलिया ने गाने के बोल अच्छे लिखे हैं। नेहा राजपाल और वीना जोशी ने गीतों को खूबसूरती से गाया है।
फारूक खान का कैमरावर्क देखने लायक है। सैकंड यूनिट डायरेक्टर के रूप में प्रभात ठाकुर की शिद्दत भी नजर आती है। सिमी रानोलिया ने उस दौर के हिसाब से कॉस्ट्यूम डिजाइन किए हैं। कार्यकारी निर्मात्री प्रियंका सैनी, एसोसिएट/सहायक निदेशक अमित बरनवाल और पराग एस जावलकर हैं। लाइन प्रोड्यूसर जगदीश सैनी, सन्नी रानोलिया, महावीर रानोलिया हैं। पैनोरमा स्टूडियोज़ इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा फ़िल्म वितरित की गई है।