Interview


सुशांत सिंह राजपूत मेरे आइडल रह चुके हैं, मैं भी उन्हीं के शहर का हूं : रवि सुधा चौधरी

राजनीति, साजिश, धोखा, बदला और गैंगवार की रोमांचक कहानी को पेश करती थ्रिलर फ़िल्म सीतापुर द सिटी आफ़ गैंगस्टर का टीज़र इन दिनों काफी पसंद किया जा रहा है। लाखों लोगों ने इसे देखा और सराहा है। इस फ़िल्म की वजह से अभिनेता और निर्माता रवि सुधा चौधरी बेहद चर्चा में आ गए हैं जो इसमें देव सिंह राणा का सेंट्रल चरित्र अदा कर रहे हैं। फ़िल्म जल्द ही रिलीज की जाएगी। रवि सुधा चौधरी से इस फ़िल्म, उनके फ़िल्मी करियर और कई मुद्दों पर एक्सकलुसिव बातचीत के अंश यहां प्रस्तूत किये जा रहे हैं।
 
सवाल : आपकी फ़िल्म सीतापुर द सिटी आफ़ गैंगस्टर के इंगेजिंग टीज़र के लिए आपको बधाई, इतनी कम अवधि के टीज़र में आपने बड़ा प्रभाव छोड़ा है। आप इसमें डबल जिम्मेदारी निभा रहे हैं, निर्माता भी हैं और अभिनेता भी?
रवि : बहुत शुक्रिया, सीतापुर का टीजर काफी पसंद किया जा रहा है और अब जल्द ही ट्रेलर भी आने वाला है. बतौर प्रोड्यूसर सीतापुर मेरा तीसरा प्रोजेक्ट है. इससे पहले मैं काशी टू कश्मीर और शशांक का निर्माता रहा हूँ. हालांकि इन दोनों फिल्मों में और भी प्रोड्यूसर्स हैं जबकि सीतापुर में मैं एकमात्र निर्माता हूँ और इसमें मुख्य अभिनेता भी मैं ही हूँ. शशांक में भी शशांक का रोल मैं ही कर रहा हूँ. पहले सीतापुर, फिर शशांक और उसके बाद काशी टू कश्मीर आएगी.
सवाल: आप कहाँ से बिलॉन्ग करते हैं और फिल्मों का शौक कैसे हुआ?
रवि : मैं बिहार के पूर्णिया जिला से सम्बन्ध रखता हूँ. मै फार्मा इंडस्ट्री में काफी समय से कार्यरत था लेकिन मेरी संगीत में काफी रूचि थी इसलिए मैंने गायन से अपने करियर की शुरुआत की. फिर जब मुझे लगा कि कुछ और करना चाहिए तो मैं ने नौकरी से कुछ दिनों का ब्रेक लिया और फिल्मों में अभिनय की तय्यारी की. १४ वर्षों में फार्मा में अच्छी पोस्ट पर होने के बावजूद मैं सोचता था कि मुझे कुछ और करना है. हालाँकि मैं सन फार्मा में मैनेजर के पद पर था. फिल्म निर्माण के क्षेत्र में मेरा आना एक प्लानिंग के तहत था. क्योंकि मैंने सोचा कि फ़िल्मी दुनिया में आने के लिए अगर मुझे थिएटर करना पड़ा, ऑडिशन देने पड़े, सैकड़ों लोगों के पास भटकना पड़े तो उससे बेहतर मैंने यह योजना बनाई और अपना एक होम प्रोड्क्शन रुद्रांश इंटरटेनमेंट शुरू किया. वहां पर मैंने अपने आप को मौका दिया. अपने आप को अभिनय के लिए पूरी तरह तय्यार किया फिर मैंने काम करना शुरू किया. पिछले चार साल के दौरान यह मेरी छठी फिल्म है. तीन मेरे प्रोड्क्शन की है और तीन दुसरे प्रोडक्शन हाउस की है. जैसे लफंगे नवाब, लक्कीवुड, रसूख. लफंगे नवाब में मैं मुख्य खलनायक था. लक्कीवुड में मैंने पैरलल लीड किया है. वह यूपी के स्ट्रगलर की कहानी है जो आने वाली है. रसूख किसानों की आत्महत्या पर बेस्ड फिल्म है उसमे लीड रोल किया है वह भी आने वाली है.
सवाल: फार्मा इंडस्ट्री का अनुभव क्या आपको फ़िल्म इंडस्ट्री में भी काम आया?
रवि: फार्मा इंडस्ट्री में काम करने के दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा जो फिल्म इंडस्ट्री में भी काम आ रहा है. वहां भी रिलेशनशिप बिल्डिंग, प्रेजेंटेशन का अंदाज सीखना होता है इससे मुझे इंडस्ट्री में भी लोगों से सम्बन्ध स्थापित करने में आसानी हुई और डायलॉग डिलीवरी में आसानी हुई. कई गुणवत्ता फार्मा इंडस्ट्री से मिली. 
सवाल: एक्टिंग को आप कितना एन्जॉय कर रहे हैं?
रवि: बहुत ज़्यादा, काशी टू कश्मीर मेरे प्रोडक्शन हाउस की पहली फिल्म है जिसमे मैंने एक रोल भी प्ले किया है. वहां से मैंने अभिनय की शुरुआत की. उसके बाद कई काम मिले. सीतापुर का टीजर देखकर लोगों ने मुझे कई प्रोजेक्ट्स ऑफर किये हैं. लोगों को अब मेरा काम पसंद आ रहा है और जैसे जैसे मेरी फिल्मे रिलीज होंगी और ज्यादा अभिनय के अवसर पैदा होंगे.
सवाल : फ़िल्म सीतापुर को आप कैसे डिस्क्राइब करेंगे और अपनी भूमिका के बारे में पाठकों को क्या बताएंगे?
रवि: सीतापुर में मैंने देव सिंह राणा का किरदार अदा किया है जो कालेज का छात्र अध्यक्ष होता है. कालेज की एक छोटी मुठभेड़ किस तरह राजनितिक जामा पहन लेती है और एक गैंगवार में बदल जाती है. देव सिंह जैसे एक सीधे सादे नौजवान को किस तरह अपराधिक प्रवर्ती में लीन होना पड़ता है. यह उसी की कहानी है. देव सिंह राणा के इसमें कई शेड्स हैं. एक सीधा सादा युवा, एक छात्र नेता, उसकी पर्सनल लाइफ, उसकी लव लाइफ, उसकी पहली गर्लफ्रेंड का मर्डर हो जाता है जिसका बदला लेने के लिए वह अपराध की दुनिया में चला जाता है. फिल्म में दो हीरोइने हैं अपर्णा मलिक और आंचल पाण्डेय. मेरे किरदार में कई रंग हैं. फ़िल्म का मुख्य विलेन करण होता है जिसे गौरव कुमार ने प्ले किया है. देव सिंह राना और करण के पारस्परिक मुठभेड़ की यह कहानी है. इसमें रोमांस एक्शन थ्रिलर सबकुछ है. फिल्म काफी बैलेंस बनी है जो दर्शकों को अवश्य पसंद आएगी.
सवाल: क्या यह सच्ची घटनाओं पर आधारित सिनेमा है?
रवि: नहीं, यह किसी रियल घटना से प्रेरित नहीं है. सीतापुर भी एक समय में गैंगवार के लिए काफी बदनाम हुआ करता था. हमारी फिल्म के निर्देशक मुबीन वारसी सीतापुर के ही रहने वाले हैं. उनके साथ मैंने मिलकर इस फिल्म का लेखन किया है. हम लोगों ने इस सब्जेक्ट पर काफी रिसर्च करके देव सिंह राणा का किरदार डेवलप किया है. रुद्रांश एंटरर्टेन्मेंट के बैनर तले निर्मित सीतापुर द सिटी आफ़ गैंगस्टर में मेरे साथ अपर्णा मलिक, आँचल पांडेय, गौरव कुमार, अनिल रस्तोगी, नवल शुक्ला, मिर्ज़ा अज़हर, जब्बार अकरम, जितेंद्र द्विवेदी, शालू सिंह, सलाउद्दीन, उत्कर्ष बाजपेई विभिन्न किरदारों में नज़र आएँगे।
सवाल: सीतापुर में अपने किरदार को अदा करने के लिए क्या खास तयारी की आपने?
रवि : इस रोल के लिए मुझे काफी तय्यारी करनी पड़ी. किसी की लाइफ में अगर ऐसा निगेटिव पहलु हो जाता है तो उसके चेहरे पर एक अलग किस्म का भाव हेमशा रहता है. वह भीड़ में भी तन्हा महसूस करता है उसके अन्दर एक अलग सी बदले की भावना होती है. वो भाव, वो टशन और वो एटीट्यूड उसके चेहरे पर हर दृश्य में दिखता है. देव सिंह राणा के किरदार और उसके लुक को जीने के लिए मैंने काफी मेहनत की है. मुझे चॉकलेटी फेस भी दिखना है, रोमांस भी करना है, क्रिमनल भी नजर आना है, कई शेड्स हैं इस किरदार के। यह एक ड्रीम किरदार हैं जिसे हर अभिनेता अपने कैरियर में निभाना चाहता हैं। सीतापुर, लखनऊ, कानपुर और मिर्जापुर में इसकी शूटिंग हुई है.
सवाल: फ़िल्म में म्यूज़िक का कितना स्कोप है?
रवि: फिल्म के गाने बेहद अच्छे हैं. फिल्म में कुल ४ गाने हैं. चारों सांग अलग अलग फ्लेवर के हैं. इसमें एक शिव तांडव गीत है. एक गाना मैंने खुद गाया है. चूँकि मैं एक सिंगर भी हूँ. इसलिए मेरी हर फिल्म में मेरा गाया एक गीत भी होता है. शशांक और काशी टू कश्मीर में भी मेरा एक गीत है. गायिकी की प्रतिभा को भी मैंने जिन्दा रखा है. फिल्म में रोमांच और दिलचस्पी रखने के लिए हमने गाने भी रखे हैं. फ़िल्म का संगीत अली फ़ैसल, नरेंद्र सिंह ने तैयार किया है।
सवाल : क्राइम थ्रिलर सब्जेक्ट वाले कंटेंट में भाषा को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं, आपने इस बात का कितना ध्यान रखा है?
रवि: सीतापुर दो घंटे ३५ मिनट की फिल्म है जो ओटीटी पर रिलीज होगी. फिलहाल इस तरह की क्राइम थ्रिलर फिल्मों वेब सीरिज का ट्रेंड चला हुआ है. इसमें कोई वल्गरिटी नहीं है. संवाद में सही शब्दों का इस्तेमाल किया है ताकि फैमिली के साथ भी इसे देखा जा सकता है. फिल्म बहुत संतुलित बनी है.
सवाल: आपकी फ़िल्म शशांक के बारे में कहा जा रहा है कि इसकी कहानी सुशान्त सिंह राजपूत की कहानी पेश करती है?
रवि; शशांक सुशांत सिंह राजपुत की कहानी नहीं है यह एक सुपर स्टार की कहानी है जो बोलीवुड में नेपोटिज्म को झेल रहा होता है. उसके साथ राजनिति होती है उसके हाथ से फिल्मे जा रही हैं और साथ में कुछ स्ट्रगल हैं. शशांक का मतलब चाँद होता है. जिसको हर कोई पाना चाह्त्ता है लेकिन उस चाँद में भी तो बहुत खालीपन और अन्धकार है, क्या उसको कोई महसूस कर सकता है. हर एक स्ट्रगलर शशांक बनना चाहता है जो एक सुपर स्टार है लेकिन शशांक खुद अपनी जगह को कायम रखने के लिए किस जद्दोजहद से गुजर रहा है यही कहानी हमने इस फिल्म में दिखाई है.
शशांक की शूटिंग कम्प्लीट हो चुकी है इसका पोस्ट प्रोडक्शन का काम बाकी है इस माह के अंत तक ट्रेलर भी आ जाएगा. उस फिल्म में शशांक का टाइटल रोल मैं प्ले कर रहा हूँ जो एक सुपर स्टार है. सुशांत सिंह राजपूत बिहार के पूर्णिया के थे और मैं भी उसी जिला का रहने वाला हूँ. हम दोनों एक ही शहर से हैं. सुशांत मेरे आइडल रह चुके हैं और मेरे जैसे बहुत से अपकमिंग कलाकारों के आइडल हैं चूँकि उन्होंने एक रेमार्केबल कारनामा किया है. हमारा यह दुर्भाग्य है कि हमारे प्रेरणास्रोत सुपर स्टार हमारे बीच नहीं हैं. उन्होंने जो करके दिखाया है उससे हमारे इलाके का हर नौजवान इंस्पायर्ड है. मैं भी यही सोचता था कि काश कभी ऐसा मौका मिल जाए कि मैं उनके किरदार को जी पाऊं तो मैं खुद को सबसे भाग्यशाली समझूंगा.
सवाल: आप ने एक आउटसाइडर होते हुए अपना बैनर स्टैब्लिश किया ऐसे में नए कलाकार आपको बड़ी आशा भरी नजरों से देखते होंगे, उनको क्या आप एक मौका देंगे?
रवि: मैं अपने बैनर से ऐस्पैरिंग एक्टर्स को एक सही प्लेटफोर्म देने का भी काम कर रहा हूँ. सीतापुर में कई अनुभवी कलाकार हैं. साथ ही कई ऐसे कलाकारों को एक बड़ा मौका भी दिया है जो अच्छे ब्रेक की तलाश में थे. जैसे इसमें मुख्य खलनायक गौरव कुमार हैं जो रायबरेली यूपी के हैं, इन्होने झुमकी सीरियल किया है. अपर्णा मलिक अररिया बिहार की हैं, जिन्होंने सीतापुर में मुख्य अभिनेत्री का रोल किया है. आंचल पाण्डे इलाहाबाद की हैं. लखनऊ के उत्कर्ष बाजपेई हैं. निर्देशक मुबीन वारसी ने भी बेहतरीन काम किया है. जो लोग डिज़र्व करते हैं मैं उन्हें मौका देता हूँ. मेरा मानना है कि आप वही बोलें जितना आप कर सकते हैं. मैंने ईमानदारी का दामन कभी नहीं छोड़ा. लोग इस इमेज की वजह से मुझे उम्मीद भरी नजरों से देखते हैं और मुझे लगता है कि मेरे ऊपर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है और मैं कोशिश करता हूँ कि उसे जहाँ तक सभव हो निभाऊं. मैं अच्छी फिल्मों के जरिये ज्यादा लोगों को मौका देना चाहता हूँ. मुझे फेसबुक के जरिये भी लोग कान्टेक्ट करते हैं. अपने प्रोडक्शन हाउस से कुछ शोर्ट फिल्मों का निर्माण भी कर रहा हूँ जो अच्छे स्तर पर आएगी.
 
by Gaazi Moin
 


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