इंटरव्यू / अजय कैलाश यादव
प्रोड्यूसर डायरेक्टर हिंदी फ़िल्म "सिनेमा ज़िंदाबाद"
एक मध्यमवर्गीय परिवार से सम्बन्ध रखने वाले अजय कैलाश यादव ने ग्रेजुएशन कम्प्लीट करने के बाद फिल्मी दुनिया मे आने का इरादा किया। कुछ अलग करने का एक जुनून था। कहानी पढ़ने और लिखने का शौक था। इसी जुनून ने उन्हें गुजराती फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर बनाया और कई वर्षों तक सहायक निर्देशक के रूप में काम करके उन्होंने डायरेक्शन की बारीकियां सीखीं, समझीं। और अब उनके निर्देशन में बनी पहली हिंदी फ़िल्म "सिनेमा ज़िंदाबाद" एमएक्स प्लेयर पर रिलीज होने जा रही है। फिल्म में राजपाल यादव सहित कई बेहतरीन कलाकार हैं. अजय कैलाश यादव से इस फिल्म के सन्दर्भ में लिया गया एक इंटरव्यू पेश किया जा रहा है...
सवाल: फ़िल्म "सिनेमा ज़िंदाबाद" के टाइटल और इसकी कहानी में क्या तालमेल है?
अजय: देखिये, जिसे सिनेमा का शौक होता है उसके लिए सिनेमा हमेशा जिंदाबाद रहता है. उसके लबों पे बस यही नारा होता है सिनेमा जिंदाबाद. सिनेमा के प्रति इसी मोहब्बत और जूनून को दर्शाती है हमारी यह फिल्म.
सवाल: राजपाल यादव के साथ आपका वर्किंग एक्सपीरिएंस कैसा रहा?
अजय :सेट पर राजपाल यादव के साथ काम करने का बहुत ही अच्छा अनुभव रहा। उन्होने मुझसे यह नहीं बोला कि मैं ऐसा करता हूं, उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम बताओ मैं इस रोल को कैसे प्ले करुं, तुम्हारा विज़न क्या है। अगर मुझे बतौर निर्देशक तुम दिखा रहे हो तो मैं कैसा डायरेक्टर हूँ। तब मैंने उन्हें समझाया कि यह एक सिंसियर और टैलेंटेड डायरेक्टर की भूमिका है जो हर चीज बखूबी समझता है, एक्सप्लेन भी करता है लेकिन बोलता कम है, समझता ज़्यादा है। वह काफी संजीदा मिजाज का निर्देशक है तो उन्होंने वैसी हो बॉडी लैंगुएज धारण की, मेरे इंस्ट्रक्शन को फॉलो किया। हर सीन पर वह मुझसे डिसकस करते थे। वह कमाल के एक्टर हैं उन्हें जैसा भी रोल दिया जाए वह उसे प्रभावी रूप से अदा करते हैं। उन्होंने बहुत ही अच्छी तरह से मेरी फिल्म में रोल प्ले किया। मैं उनसे बहुत खुश हूं और उनके काम से संतुष्ट भी। लोग अधिकतर उन्हें कॉमेडियन के रूप में जानते हैं मगर इस फ़िल्म मे उन्होंने अपने उस पहलू को कभी बीच मे नहीं लाने दिया, यह उनका कमाल था। उन्होंने मुझसे कहा कि डायरेक्टर श्याम कपूर का जैसा रोल तुमने लिखा है, सोचा है मैं वैसा करके देता हूँ।
सवाल: फिल्म की स्टोरीलाइन को आप किस तरह डिस्क्राइब करेंगे?
अजय: देखिये "सिनेमा ज़िंदाबाद" बोलीवुड में कलाकारों के स्ट्रगल और एक फिल्म निर्देशक के संघर्ष को दिखाती है। निर्देशक और कलाकारों के व्यक्तिगत जीवन के कई पहलुओं को भी यह फ़िल्म दिखाती है। यह फिल्म रियल कैरेक्टर्स और रियल लाइफ से जुडी हुई है और हर दर्शक हर किरदार से कनेक्ट करेगा, खासकर वो लोग जो फिल्म और मनोरंजन जगत से जुड़े हुए हैं। इस फिल्म में राजपाल यादव ने एक महत्वाकांक्षी निर्देशक का एक महत्वपूर्ण चरित्र जिया है, जो अपनी पहली फिल्म को बनाने और रिलीज करने और एक स्वतंत्र निर्देशक के रूप में अपनी पहचान पाने के लिए संघर्ष करता है। फिल्म के कलाकारों में राजपाल यादव, मुकेश भट्ट, पंकज बेरी, रंजीत बेदी, मौसमी उदेशी, हेमिन पटेल, पिनेल बाबू, स्वप्निल झारबड़े, स्वर्गीय वायम दहमानी, अमृता धनोआ और अल्पेश वाघेला शामिल हैं। राजपाल यादव ने डायरेक्टर और मुकेश एस भट्ट ने प्रोड्यूसर का रोल किया है। रंजीत बेदी ने बिज़नसमैन का किरदार निभाया है। पंकज बेरी एक डिस्ट्रीब्यूटर की भूमिका में है।
सवाल: आपने इस रौशनी के शहर के डार्क पहलुओं को दिखाने का प्रयास किया है, लेकिन क्या इसमें कुछ पोजिटिव पहलू भी पेश किये गए हैं?
अजय: देखिये बेशक इस फिल्म में उन लड़के लड़कियों के स्ट्रगल को दिखाया गया है जो मुम्बई में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, कैसे उनका शोषण होता है लकिन इसके बावजूद फ़िल्म यह सकारात्मक मैसेज भी देती है कि आपको संघर्ष से टूटना या हताश नहीं होना है बल्कि अंत तक कोशिश जारी रखना है, एक दिन आपको चांस भी मिलता है और फ़िल्म रिलीज भी होती है।
सवाल: इस फिल्म में संगीत का कितना स्कोप है?
अजय: इस फ़िल्म का म्युज़िक इसका प्लस पॉइंट है. इसमें सोनू निगम, नक्काश अज़ीज़ जावेद अली, भूमि त्रिवेदी और अमन त्रिखा की आवाज़ में गाने हैं। फ़िल्म में 4 गाने हैं एक सोनू निगम की आवाज में मोटिवेशनल सांग है। इसे राज प्रकाश ने कम्पोज़ किया है। एक रोमांटिक सांग भी राज प्रकाश का ही संगीतबद्ध किया हुआ है। एक सिचुएशन सांग नक्काश अज़ीज़ ने गाया है। जावेद अली, भूमि त्रिवेदी और अमन त्रिखा की आवाज़ में भी गाने हैं।
सवाल: आपकी फिल्म ओटीटी प्लेटफोर्म एमएक्स प्लेयर पर रिलीज हो रही है, आपने तो सिनेमा के लिए बनाइ होगी सिनेमा जिंदाबाद...
अजय: जी हाँ, लेकिन कोरोना काल की वजह से यह सम्भव नहीं हो पाया, मेरी फिल्म २०२० में रिलीज होनी थी लेकिन कोविड और लॉक डाउन की वजह से यह टलती रही और अब एमएक्स प्लेयर पर रिलीज हो रही है. यह एक प्रतिष्ठित प्लेटफोर्म है. हालाँकि रिकवरी सिनेमाघरों से होती है, थिएटर में आपकी फ़िल्म रिलीज होती है तो उसकी वैल्यू भी अलग होती है। हमारी फ़िल्म में यह दिखाया गया है कि बिना स्टारकास्ट और नए डायरेक्टर प्रोड्यूसर की फ़िल्म को सिनेमाघरों में रिलीज करने में काफी परेशानी होती है। ओटीटी के आने से यह सुविधा हो गई है कि फ़िल्म ऑनलाइन रिलीज हो सकती है। इस फ़िल्म में जो मैंने दिखाया है मेरे साथ भी रियल लाइफ मे वही हुआ। लोग मुझसे वही कह रहे हैं जो इस फ़िल्म में डायरेक्टर, प्रोड्यूसर को डिस्ट्रीब्यूटर कह रहे हैं।
By Gaazi Moin